Royal Ghazal By Bashir Badr (Gaon Mit jaye ga ,Shehar jal jaye ga)

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा
ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा,.,.!!





कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल
कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा,.,.!!






अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल
जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा,.,.!!

मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा,.,.!!

आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा,.,.!!

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Gaon mit jaye ga shehar jal jaaye ga
Jindagi tera chehara badal jaye ga

Kuchh likho marsiya, masanavi ya ghajal
Koi kaagaj ho pani me gal jaye ga

Ab usi din likhun ga dukhon ki ghajal
Jab mera hath lohe me dhal jaye ga

Mai agar muskura kar unhe dekh lun
Kaatilon ka irada badal jaaye ga

Aaj sooraj ka rukh hai hamari taraf
Ye badan mom ka hai pighal jaye ga
Royal Ghazal By Bashir Badr (Gaon Mit jaye ga ,Shehar jal jaye ga) Royal Ghazal By Bashir Badr (Gaon Mit jaye ga ,Shehar jal jaye ga) Reviewed by Ashish Awasthi on November 28, 2014 Rating: 5

4 comments:

  1. मैंने पुछा था एक सितारे से, इंतेहा भी सफ़र की है कोई...
    सुन कर मेरे सवाल, शबनम रात भर फूट फूट कर रोई.....!!

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  2. भरा हुआ था दिल शायद,छलक गया हैं सीने में...
    बहने लगे है सारे शिकवे,बड़ी ग़मगीन है दिल की बातें......!!

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  3. शान से जीने का शौख है , वो तो हम जिएंगे ही । तू बस अपने आप को संभाल हम तो युही चमकते रहेंगे ।

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  4. शान से जीने का शौख है , वो तो हम जिएंगे ही । तू बस अपने आप को संभाल हम तो युही चमकते रहेंगे ।

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