मेरे तो दर्द भी औरो के काम आते है,
मै रो पडु तो कई लोग मुस्कराते है,.,!!!
Mere to dard bhi auron ke kam aate hain
Mai ro padu to kai aur log muskurate hain
-------------------------------------------------------------
जिसे दुनिया कहते है कोठे की तवायफ है
इशारा किस को करती है नजारा कौन करता है,.,!!!
Jise duniya kahte hain kothe ki tawayaf hai
Ishara kisko karti hai najara kaun karta hain
-------------------------------------------------------------
वो दीवाना था, टकरा ही गया.,.,!
लोग कहते रहे "दीवार है- दीवार है"...!!!
Wo deewana tha takra hi gaya
Log kahte rahe deewar hai -deewar hai
-------------------------------------------------------------
दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी,.,
लोग तो घर ही के थे आग लगाने वाले,.,!!!
Duniya walon ne to fakat usko hawa di thi
Log to ghar ke hi the aag lagane wale
-------------------------------------------------------------
हुत दूर तक जाना पड़ता है , सिर्फ यह जानने के लिए,
नज़दीक कौन है,.,!!!
Bahut door tak jana padta hai , sirf ye janne ki liye
Ke najdeek kaun hai
-------------------------------------------------------------
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से…
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
Socha tha ghar bana kar baithu ga sukoon se
Par ghar ki jaruraton ne musafir bana dala
-------------------------------------------------------------
हम ने पूछा आज मीठे में क्या है ?
उसने ऊँगली उठाई और होंठों पे रख दी..!!!
Hamne poochha aaj meethe me kya hai
Usne ungli uthai aur hontho pe rakh di
-------------------------------------------------------------
पलकों की हद को तोड़ कर दामन पे आ गिरा एक
अश्क मेरे सब्र् की तौहीन कर गया.,.!!
Palkon ki had ko tod kar daman pe aa gira ek
Ashk mere sabra ki tauhin kar gaya
-------------------------------------------------------------
जब भी वो गुलशन से बेनकाब गुजरते हैं।
लबों को देख कर उनके भंवरों को भरम होता है।।
Jab bhi wo gulshan se banakab gujarte hain
Labon ko dekh kar unke bhanvron ko bharam hota hai
-------------------------------------------------------------
सज़ा देना हमें भी आता है
ए बेखबर...
पर तू तकलीफ से गुजरे ये हमें
गवारा नही...!!
Saja dena hame bhi aata hai ae bekhabar
Par tu takleef se gujre ye hame gawara nahin
-------------------------------------------------------------
तू डालता जा शराब मेरे प्याले में,
जब तक ना निकले वो मेरे खयालो से,.,!!!
Tu dalta ja sharab mere pyale me
Jab tak na nikle wo mere khayalo se
-------------------------------------------------------------
हाथ में पैमाना , उँगलियों में सिगरेट फँसा है,.,
धुआँ धुआँ यादें हैं, हकीकत बस नशा है ,.,!!!
Haath me paimana, ungliyon me cigarrete fansa hai
Dhuan dhuan yade hain, haqeeqat bas nasha hai
-------------------------------------------------------------
मैं ज़र्रा लिखता हूँ तो ज़मीन कर देते हैं ,
ये शायर मैं खुद नहीं बना, यारों की मेहरबानी है,.,!!!
Mai jarra likhta hu to jameen kar dete hain
Ye shayar mai khud nahi bana, yaron ki meharbani hai
-------------------------------------------------------------
दे दीजियेगा बाद मे औरों को मशविरा फ़िलहाल अपना गिरता हुआ घर समेटिये ,.,
फूलों की बात समझें, कहाँ है वो देवता ये दानवों का दौर है, पत्थर समेटिये,.,.!!!
De dijiye ga bad me auron ko mashvira filhal apna girta hua ghar sametiye
Foolon ki baat samjhe , kahan hai wo dewta ye danvon ka daur hai patthar sametiye
-------------------------------------------------------------
वो बात बात पे देता है परिंदो की मिसाल 'फ़राज़ ',.,
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ जाओ ,.,!!!
Wo bat bat pe deta hai parindo ki misaal 'faraj'
Saaf saaf nahi kahta mera shehar chhod jao
-------------------------------------------------------------
बांध कर न रखा करो ज़ुल्फें अपनी
नदी पर का बाँध ढहता है
तबाही मचा देता है,.,!!!
Bandh kar na rakha karo julfen apni
Nadi par ka bandh dhehta hai, tabahi macha deta hai
-------------------------------------------------------------
कातिलों में ज़मीर ढूढेंगे
क्या महल में कबीर ढूंढेंगे
खेल ऐसा भी एक दिन होगा
सारे पैदल वज़ीर ढूँढेंगे ,.,!!!
Kaatilon ke jameer dhunde ge
Kya mahal me kabeer dhunde ge
Khel aisa bhi ek diun hoga
Sare paidal vajeer dhunde ge
-------------------------------------------------------------
मेरा मजहब मतलब है, मंदीर और मस्जिद क्या
मतलब निकलते ही मै, खुदा को भुल जाता हुं,.,!!!
Mera majhab matlab hai, mandir aur masjid kya
Matlab nikalte hi main khuda ko bhool jata hu
-------------------------------------------------------------
शायरी है सरमाया अक्लमंद लोगो का,.,
बांस की हर इक टहनी बांसुरी नही होती,.,!!!
Shayari hai sarmaya aklmand logon ka
Baans ki har ek thehani bansuri nahi hoti
-------------------------------------------------------------
खुबसुरती के तो सब आशिक़ होते है।
.
किसी को खुबसुरत बनाकर इश्क किया जाये
तो क्या बात है ,.,!!
Khoobsurati ke to sab aashik hote hain
Kisi ko khoobsurat bana kar ishq kiya jaye to kya baat hai
-------------------------------------------------------------
इश्क की बहुत सारी उधारियां है तुम पर
चुकाने की बात करो तो कुछ किश्तें तय कर लें!!
Ishq ki bahut sari udhariyan hai tum par
Chukane ki bat karo to kuchh kishten tay kar le
-------------------------------------------------------------
गर आपके पास दिल है..???
तो
धड़कने का बहाना कोई ढूंढो...!!!
Gar aapke pas dil hai to
Dhadkane ka bahan koi dhundo
-------------------------------------------------------------
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,,.,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ,.,!!!
Koi aur tareeka btao jeene ka
Saanse le le kar thak gaya hun
-------------------------------------------------------------
मै
खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा…
पर ए दोस्त…
“आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया…!!
Main khud kabhi becha karta tha dard-e-dil ki dawa
Par ae dost
Aaj waqt mujhe apni hi dukan par le aaya
-------------------------------------------------------------
मारेगी क्या मुझे कोई बंदुक की गोली..
उसकी नजरो से घायल होके बैठे हैं हम...!!
Maare gi kya mujhe koi bandook ki goli
Uski najron se ghayal hoke baithe hain ham
-------------------------------------------------------------
किसी खंजर और तीर की तुझे दरकादरकार ही क्या।
इक नजर भर के बस तू देख ले मुझे।।
Kisi khanjar aur teer ki tujhe darkaar hi kya
Ek najar bhar ke bas tu dekh le mujhe
-------------------------------------------------------------
मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है
मुस्तक़िल
कोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है,.,!!!
Muddat gujar gayi ki yah aalam hai mustakil
Koi sabab nahi hai magar dil udaas hai
-------------------------------------------------------------
उठ-उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गये,.,
दहशतगर्दो के हाथ में इस्लाम रह गया,.,!!!
Uth uth ke masjidon se namaji chale gaye
Dahshat gardon ke hath me islaam rah gaya
-------------------------------------------------------------
मुझे ना ढूंढ ज़मीन-ओ-आसमान की गर्दिश में
तेरे दिल में अगर नहीं हूँ तो फिर कहीं नहीं हूँ...!!!
Mujhe na dhund jameen-o-aasman ki gardish me
Tere dil me agar nahi hu to fir kahi nahi hun
-------------------------------------------------------------
वो शख्स ही क्या जो डर जाए अपने हालात की गर्दिश से,
उस दौर में जीना लाज़मी है जिस दौर में जीना मुश्किल हो,.,!!!
Wo shaksh hi kya ho dar jaye apne halaat ki gardish se
Us daur me jeena laajmi hai jis daur me jeena mushkil ho
मै रो पडु तो कई लोग मुस्कराते है,.,!!!
Mere to dard bhi auron ke kam aate hain
Mai ro padu to kai aur log muskurate hain
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जिसे दुनिया कहते है कोठे की तवायफ है
इशारा किस को करती है नजारा कौन करता है,.,!!!
Jise duniya kahte hain kothe ki tawayaf hai
Ishara kisko karti hai najara kaun karta hain
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वो दीवाना था, टकरा ही गया.,.,!
लोग कहते रहे "दीवार है- दीवार है"...!!!
Wo deewana tha takra hi gaya
Log kahte rahe deewar hai -deewar hai
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दुनिया वालों ने तो फकत उसको हवा दी थी,.,
लोग तो घर ही के थे आग लगाने वाले,.,!!!
Duniya walon ne to fakat usko hawa di thi
Log to ghar ke hi the aag lagane wale
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हुत दूर तक जाना पड़ता है , सिर्फ यह जानने के लिए,
नज़दीक कौन है,.,!!!
Bahut door tak jana padta hai , sirf ye janne ki liye
Ke najdeek kaun hai
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सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से…
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
Socha tha ghar bana kar baithu ga sukoon se
Par ghar ki jaruraton ne musafir bana dala
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हम ने पूछा आज मीठे में क्या है ?
उसने ऊँगली उठाई और होंठों पे रख दी..!!!
Hamne poochha aaj meethe me kya hai
Usne ungli uthai aur hontho pe rakh di
-------------------------------------------------------------
पलकों की हद को तोड़ कर दामन पे आ गिरा एक
अश्क मेरे सब्र् की तौहीन कर गया.,.!!
Palkon ki had ko tod kar daman pe aa gira ek
Ashk mere sabra ki tauhin kar gaya
-------------------------------------------------------------
जब भी वो गुलशन से बेनकाब गुजरते हैं।
लबों को देख कर उनके भंवरों को भरम होता है।।
Jab bhi wo gulshan se banakab gujarte hain
Labon ko dekh kar unke bhanvron ko bharam hota hai
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सज़ा देना हमें भी आता है
ए बेखबर...
पर तू तकलीफ से गुजरे ये हमें
गवारा नही...!!
Saja dena hame bhi aata hai ae bekhabar
Par tu takleef se gujre ye hame gawara nahin
-------------------------------------------------------------
तू डालता जा शराब मेरे प्याले में,
जब तक ना निकले वो मेरे खयालो से,.,!!!
Tu dalta ja sharab mere pyale me
Jab tak na nikle wo mere khayalo se
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हाथ में पैमाना , उँगलियों में सिगरेट फँसा है,.,
धुआँ धुआँ यादें हैं, हकीकत बस नशा है ,.,!!!
Haath me paimana, ungliyon me cigarrete fansa hai
Dhuan dhuan yade hain, haqeeqat bas nasha hai
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मैं ज़र्रा लिखता हूँ तो ज़मीन कर देते हैं ,
ये शायर मैं खुद नहीं बना, यारों की मेहरबानी है,.,!!!
Mai jarra likhta hu to jameen kar dete hain
Ye shayar mai khud nahi bana, yaron ki meharbani hai
-------------------------------------------------------------
दे दीजियेगा बाद मे औरों को मशविरा फ़िलहाल अपना गिरता हुआ घर समेटिये ,.,
फूलों की बात समझें, कहाँ है वो देवता ये दानवों का दौर है, पत्थर समेटिये,.,.!!!
De dijiye ga bad me auron ko mashvira filhal apna girta hua ghar sametiye
Foolon ki baat samjhe , kahan hai wo dewta ye danvon ka daur hai patthar sametiye
-------------------------------------------------------------
वो बात बात पे देता है परिंदो की मिसाल 'फ़राज़ ',.,
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ जाओ ,.,!!!
Wo bat bat pe deta hai parindo ki misaal 'faraj'
Saaf saaf nahi kahta mera shehar chhod jao
-------------------------------------------------------------
बांध कर न रखा करो ज़ुल्फें अपनी
नदी पर का बाँध ढहता है
तबाही मचा देता है,.,!!!
Bandh kar na rakha karo julfen apni
Nadi par ka bandh dhehta hai, tabahi macha deta hai
-------------------------------------------------------------
कातिलों में ज़मीर ढूढेंगे
क्या महल में कबीर ढूंढेंगे
खेल ऐसा भी एक दिन होगा
सारे पैदल वज़ीर ढूँढेंगे ,.,!!!
Kaatilon ke jameer dhunde ge
Kya mahal me kabeer dhunde ge
Khel aisa bhi ek diun hoga
Sare paidal vajeer dhunde ge
-------------------------------------------------------------
मेरा मजहब मतलब है, मंदीर और मस्जिद क्या
मतलब निकलते ही मै, खुदा को भुल जाता हुं,.,!!!
Mera majhab matlab hai, mandir aur masjid kya
Matlab nikalte hi main khuda ko bhool jata hu
-------------------------------------------------------------
शायरी है सरमाया अक्लमंद लोगो का,.,
बांस की हर इक टहनी बांसुरी नही होती,.,!!!
Shayari hai sarmaya aklmand logon ka
Baans ki har ek thehani bansuri nahi hoti
-------------------------------------------------------------
खुबसुरती के तो सब आशिक़ होते है।
.
किसी को खुबसुरत बनाकर इश्क किया जाये
तो क्या बात है ,.,!!
Khoobsurati ke to sab aashik hote hain
Kisi ko khoobsurat bana kar ishq kiya jaye to kya baat hai
-------------------------------------------------------------
इश्क की बहुत सारी उधारियां है तुम पर
चुकाने की बात करो तो कुछ किश्तें तय कर लें!!
Ishq ki bahut sari udhariyan hai tum par
Chukane ki bat karo to kuchh kishten tay kar le
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गर आपके पास दिल है..???
तो
धड़कने का बहाना कोई ढूंढो...!!!
Gar aapke pas dil hai to
Dhadkane ka bahan koi dhundo
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कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,,.,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ,.,!!!
Koi aur tareeka btao jeene ka
Saanse le le kar thak gaya hun
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मै
खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा…
पर ए दोस्त…
“आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया…!!
Main khud kabhi becha karta tha dard-e-dil ki dawa
Par ae dost
Aaj waqt mujhe apni hi dukan par le aaya
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मारेगी क्या मुझे कोई बंदुक की गोली..
उसकी नजरो से घायल होके बैठे हैं हम...!!
Maare gi kya mujhe koi bandook ki goli
Uski najron se ghayal hoke baithe hain ham
-------------------------------------------------------------
किसी खंजर और तीर की तुझे दरकादरकार ही क्या।
इक नजर भर के बस तू देख ले मुझे।।
Kisi khanjar aur teer ki tujhe darkaar hi kya
Ek najar bhar ke bas tu dekh le mujhe
-------------------------------------------------------------
मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है
मुस्तक़िल
कोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है,.,!!!
Muddat gujar gayi ki yah aalam hai mustakil
Koi sabab nahi hai magar dil udaas hai
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उठ-उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गये,.,
दहशतगर्दो के हाथ में इस्लाम रह गया,.,!!!
Uth uth ke masjidon se namaji chale gaye
Dahshat gardon ke hath me islaam rah gaya
-------------------------------------------------------------
मुझे ना ढूंढ ज़मीन-ओ-आसमान की गर्दिश में
तेरे दिल में अगर नहीं हूँ तो फिर कहीं नहीं हूँ...!!!
Mujhe na dhund jameen-o-aasman ki gardish me
Tere dil me agar nahi hu to fir kahi nahi hun
-------------------------------------------------------------
वो शख्स ही क्या जो डर जाए अपने हालात की गर्दिश से,
उस दौर में जीना लाज़मी है जिस दौर में जीना मुश्किल हो,.,!!!
Wo shaksh hi kya ho dar jaye apne halaat ki gardish se
Us daur me jeena laajmi hai jis daur me jeena mushkil ho
Mehfil- 2 Liners, Urdu Sher, Shayri, Kavita, Ghazal in Hindi Font Part-12
Reviewed by Ashish Awasthi
on
December 23, 2014
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