मजदूर नहीं तो
हम नहीं, आप नहीं
पुल नहीं,सड़क नहीं
कारखानों में भाप नहीं
घर नहीं, नगर नहीं
विकास का कोई माप नहीं
मज़बूरी नहीं,लाचारी नहीं
गरीबी का ये सांप नहीं
मेहनत नहीं, मजदूरी नहीं
आराम का हिसाब नहीं
कारखाने नहीं, उद्योग नहीं
पेट की ऐसी आग नहीं
कपडे नहीं, खाना नहीं
रहने को निवास नहीं
कुएं नहीं , नहर नहीं
बुझती कभी प्यास नहीं
मजदूर नहीं तो कुछ नहीं
हम नहीं , आप नहीं||
मजदूर नहीं तो कुछ नहीं (Majdoor Diwas Par Vishesh) - Hindi Poem By Ashish Awasthi
Reviewed by Ashish Awasthi
on
May 01, 2017
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