रास्ता मैं बतलाता हूँ - Hindi Poem By Ashish Awasthi


राहों के पत्थर देखे इतने
के अब नहीं संभल पाता हूँ

अपने पीछे चलते चलते
खुद से दूर निकल जाता हूँ

अब तो कोई रोक लो आके
मैं लीक तोड़ कर जाता हूँ

फिर न कहना, के कहा नहीं ?
सब पहले से बतलाता हूँ

झूमो तुम सब मैखाने जाकर
आओ ,रास्ता मैं बतलाता हूँ।।


रास्ता मैं बतलाता हूँ - Hindi Poem By Ashish Awasthi रास्ता मैं बतलाता हूँ - Hindi Poem By Ashish Awasthi Reviewed by Ashish Awasthi on May 16, 2017 Rating: 5

3 comments:

  1. अच्छा है .. हमारी शायरी भी पढीये

    http://www.shayari4u.com/

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  2. वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है,
    देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए।
    For Mor Shayari visit - http://ajabgajabjankari.com/ahmad-faraz-shayari-2-lines-part-1/

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