जब जब महकती ये यादें तुम्हारी हैं - Hindi Kavita By Ashish Awasthi


अब मिलता नहीं, जो आंसू छुपा के रखा था कहीं
ना ही वो जिंदगी जो तन्हा गुज़ारी है 

ना ही वो बातें जो तुम करती थी कभी
ना ही वो सपने जो तुमने दिखाए थे
ना ही वो बारिश जिसमे भीगे थे साथ
ना ही वो खत जो तुमने छुपाये थे

ना वो ही वो ख़्वाब जो छत में टहलते थे
ना ही वो रातें जो जागते गुज़ारी है



ना ही वो वक़्त जो गुजरा था बाँहों में
ना ही वो फूल जो बिछे थे राहों में
ना ही वो रास्ता जिससे गुजरते थे हम
ना ही वो दिन जब आयी थी पनाहों में

ना ही वो बादल ,घटा, सावन, वो बूंदे
ना ही वो जुल्फें जो उलझी तुम्हारी हैं

घूमता हूँ कभी जब उस पुरानी सड़क पे
कुछ सतरंगी कुछ स्याह रंगो के साथ
महकता रहता हूँ याद करके मैं भी
जब जब महकती ये यादें तुम्हारी हैं


जब जब महकती ये यादें तुम्हारी हैं - Hindi Kavita By Ashish Awasthi जब जब महकती ये यादें तुम्हारी हैं - Hindi Kavita By Ashish Awasthi Reviewed by Ashish Awasthi on March 23, 2018 Rating: 5

1 comment:

Powered by Blogger.