जिंदगी जी रहे तो मौत से इंकार मत करना
चाहते चलो सबको पर खुद को बेक़रार मत करना
जेब बड़ी हो जाये अच्छा ही है ये तो
ज़मीर भूल के फरेब का इख़्तियार मत करना
सबसे मिलो, हँसो और बातें करो
पर भूले से भी किसी का ऐतबार मत करना
प्यार बेहिचक बांटते रहो दुनिया में
किसी मासूम का कभी शिकार मत करना
कोई रोक दे तुमको तो और बात है
खुद की नेकी से कभी इंकार मत करना
जिस ओर जाने को मना किया था माँ ने
उस रस्ते को कभी पार मत करना ।।
चाहते चलो सबको पर खुद को बेक़रार मत करना
जेब बड़ी हो जाये अच्छा ही है ये तो
ज़मीर भूल के फरेब का इख़्तियार मत करना
सबसे मिलो, हँसो और बातें करो
पर भूले से भी किसी का ऐतबार मत करना
प्यार बेहिचक बांटते रहो दुनिया में
किसी मासूम का कभी शिकार मत करना
कोई रोक दे तुमको तो और बात है
खुद की नेकी से कभी इंकार मत करना
जिस ओर जाने को मना किया था माँ ने
उस रस्ते को कभी पार मत करना ।।
Zindagi Jee Rahe To Maut Se Inkar Mat Karna- Hindi Kavita By Ashish Awasthi
Reviewed by Ashish Awasthi
on
July 17, 2018
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