मैं बूंद एक
तुम सागर हो
मैं प्यासा हूँ
तुम गागर हो
मैं वस्त्रहीन
तुम चादर हो
मैं हूँ अपूर्ण
तुम परम पूर्ण
मुझे जरूरत है तेरी
तुम पूरक हो मेरी
बूंद मिला दो सागर से
जल तो दे दो अब गागर से
थोड़ी चादर दे दो मुझको
अब तो पूर्ण करो मुझको।।
~ आशीष अवस्थी 'ख़ाक'
Main Boond Ek Tum Sagar Ho - Hindi Kavita by Ashish Awasthi
Reviewed by
Ashish Awasthi
on
December 15, 2018
Rating:
5
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