Syaah hai Raat Hai - Hindi Kavita by Ashish Awasthi

स्याह है, रात है
कोई तो बात है

अंधेरों को चीरती
सन्नाटों को घेरती
कैसी आवाज है ?

सिसक रहा है कोई
सिरहाने पे मेरे
कोई तो राज है ?

दर्द में कौन है
बोल क्यों तू मौन है ?
हुआ क्या आज है ?

फिर उसने बोला
अधरों को खोला
ये तो मेरी ही आवाज है।।

~ आशीष अवस्थी 'ख़ाक'


Syaah hai Raat Hai - Hindi Kavita by Ashish Awasthi Syaah hai Raat Hai - Hindi Kavita by Ashish Awasthi Reviewed by Ashish Awasthi on April 11, 2019 Rating: 5

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