Ek Man Se Gareeb Tha - Hindi Kavita By Ashish Awasthi

एक मखमली बिस्तर पे नहीं सो पाता था
एक को फुटपाथ पे भी सपने दिखते थे

एक सोचता था क्या क्या खाऊं ?
एक सोचता था के क्या खाऊं ?

एक के पास रेशमी कपड़े थे
एक के पास फटी चादर थी

एक कचरे में खाना फेकता था
एक कचरे में खाना ढूंढता था

एक की तिजोरी बहोत भारी थी
एक की जेबें तक खाली थी

एक के पास दोस्त नहीं थे
एक की हर किसी से दोस्ती थी

एक पैसे के लिए ही गिर गया था
एक गिरे पैसों को भी नही उठाता था

एक फिर भी नही हँसता था
एक जोर के ठहाके लगाता था

एक मन से गरीब था
एक धन से गरीब था।।


Ek Man Se Gareeb Tha - Hindi Kavita By Ashish Awasthi Ek Man Se Gareeb Tha - Hindi Kavita By Ashish Awasthi Reviewed by Ashish Awasthi on January 13, 2020 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.